पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने किया “सुरक्षित मातृत्व नारी का अधिकार” के थीम पर आयोजित “लेबर कॉन 2023” का शुभारंभ
पटना : पटना ऑब्स्टेट्रिक एण्ड गायनोकोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा सुरक्षित मातृत्व, गर्भावस्था के दौरान हाने वाली विभिन्न जटिलताओं एवं डिलिवरी के समय होने वाले विभिन्न समस्याओं को नवीनत तकनीकों और नए विकास से रूबरू कराने के मकसद से लेबर कॉन 2023 का आयोजन पटना के होटल मौर्या में किया गया है, जहां आज दूसरे दिन भी देश भर के स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को जमावड़ा लगा रहा। वहीं, सुरक्षित मातृत्व नारी का अधिकार थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने किया। इस दौरान उन्होंने इस आयोजन को सराहनीय बताया।
इससे पहले मुख्य भाषण में FOGSI के अध्यक्ष डॉ हृषिकेश डी. पाई ने कहा कि पटना में इस तरह का बड़ा कॉन्फ्रेंस हो रही है, जिसमें देश – विदेश के डॉक्टर शामिल हुए हैं। देशभर में 30 बिलियन प्रसव होगी। इस दौरान गर्भावस्था में मृत्यु की समस्या भी आती है। हालांकि हाल के दिनों में इसमें गिरावट आई है। इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन अभी भी सुरक्षित मातृत्व के लिए लोगों के बीच जागरूकता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी सरकार की योजना इस दिशा में लाभकारी साबित हो रही है। सरकार और सिविल सोसाईटी के साथ ग्रामीण स्तर पर आशा कर्मी मिलकर काम कर रहे हैं।
डॉ हृषिकेश डी. पाई ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत लोग गर्भावस्था में फ्री में चेकअप करा सकते हैं। हमारे देश में अभी भी बहुत से लोग घरों में प्रसव कराते हैं, जबकि कोशिश होनी चाहिए कि प्रसव अस्पतालों में हो। कई बार से चक्कर में एमर्जेंसी में लोगों की मौत हो जाती है। हमारा देश जनसंख्या के मामले में बड़ा देश है। शिशु मृत्यु दर को कम करने के क्षेत्र में हमारे देश में अच्छा काम हो रहा है।
डॉ विनिता सिंह ने कहा कि लेबर कॉन 2023 इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस हो गया है। हमारे यहाँ प्रसव के दौरान होने वाले मौत पर चर्चा हुई। 76 राष्ट्रीय वक्ताओं ने लेबर कॉन 2023 में शामिल होकर सुरक्षित मातृत्व विषय के विभिन्न बिंदुओं पर परिचर्चा की। सम्मेलन में मुख्य रूप से गर्भावस्था में होने वाली जटिलताओं का निदान, कठिन प्रसव का समाधान, अनावश्यक सिजेरियन से बचने के उपाय आदि पर चर्चा हुई। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि के रूप में लेफ्टनेंट जेनरल ज्ञान भूषण एवं यूनिसेफ के शिवेन्द्र नाथ पांडेया उपस्थित थे। साथ हीं भारतीय अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी भी इस सभा की चमक के रूप में मौजूद रही एवं वैज्ञानिक सत्र का उद्घाटन विधिवत किया। प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों के ज्ञान को समृद्ध और अद्यतन करने के लिए मुख्य भाषण, पैनल चर्चा, अतिथि व्याख्यान, दिग्गज भाषण सत्र, बहस और अन्य प्रायोजित वार्ता भी आयोजित किया गया।
श्रीलंका से आए डॉ यू डी पी रत्नश्री ने कहा कि गर्भावस्था में होने वाली जटिलताओं का निदान पर हमने इस कार्यशाला के विभिन्न सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों और सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के माध्यम से प्रसव के दौरान माता और बच्चों की मृत्यु को रोका जा सकता है। डिलीवरी अस्पतालों में हो तो प्रसव के दौरान मृत्यु का चांस कम होता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओ के लिए प्रसव के दौरान समस्या एक होती है, लेकिन इलाज में फर्क पड़ता है। यह नहीं होना चाहिए। दोनों का प्रसव अस्पतालों में हो तो बेहतर है।
गुजरात से आए डॉ एम सी पटेल ने कहा कि विश्व आरोग्य संस्था और हमारी केंद्र सरकार का गोल है2030 तक, मातृ मृत्यु दर 76 से कम हो। हालांकि पहले की तुलना में ये काफी कम हो रहा है। पहले मातृत्व मृत्यु दर 300 था और अब 200 के आस पास है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह है कि अधिक लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं होती है। दूसरी बात अगर प्रसव के दौरान घर में कोई परेशानी आती है, उस स्थिति में अस्पताल ले जाने में माता की मृत्यु हो जाती है। इसलिए अगर सुविधाओं वाले अस्पताल में महिला की डिलीवरी हो, तो मातृ मृत्यु दर कम की जा सकती है। ब्लड प्रेशर और सुगर कंट्रोल भी होना बेहद जरूरी है, जो घरों में पता नहीं चलता है।
डॉ जयदेव ने कहा कि सभी महिला अपनी बॉडी को जानती हैं। 15 से 20 प्रतिशत महिलाओं को प्रसव तिथि समय से आगे हो जाती है। लेकिन इससे ज्यादा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रसव के बाद ज्यादा ब्लीडिंग होने से मां की तबीयत बिगड़ जाती है। ऐसे में उसकी जान चली जाती है। इसे पोस्टपार्टम हेमरेज कहते हैं। महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण पोस्टपार्टम हेमरेज है। देर से शादी की वजह से महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
आपको बता दें कि लेबर कॉन 2023 सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ अलका पांडेय एवं आयोजन सचिव डॉ विनिता सिंह, डॉ प्रज्ञा मिश्रा चौधरी एवं डॉ मीना सामंत थी। इस मौके पर आयोजन कोषाध्यक्ष डॉ निभा मोहन, संयुक्त सचिव डॉ सुप्रिया जयसवाल, डा अमिता सिन्हा, डा रंजना सिन्हा और डॉ चारु मोदी भी मौजूद रहीं। सम्मेलन में भाग लेने वाले चिकित्सकों को 15 ICOG Credit Points और 12 बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन (बी.सी.एम.आर) Credit Hours से सम्मानित किया गया। बिते दिन 7 अप्रैल 2023 को ‘प्रसूति आपात स्थिति’ पर प्री कॉन्फ्रेंस कार्यशाला का भी आयोजन किया गया और आज सुबह वैज्ञानिक सत्र की शुरूआत युवा चिकित्सकों के कैप्सूल सत्र से हुई जिसमें डॉ उज्जवला, डॉ अर्चना सिन्हा, डॉ पूनम लाल, डॉ कल्पना, डॉ सूचेता, डॉ अनिता पाठक, डॉ विनिता सिन्हा, डॉ अपूर्वा दत्ता, डॉ लक्ष्मी झा ने अपने व्याख्यान दिये।
विशेषज्ञ सत्र में राष्ट्रीय फैकल्टी डॉ आशा वक्शी, डॉ कविता वापट, डॉ साधना गुप्ता, डॉ अंजु सोनी, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ अंजु सोनी, डॉ सीमा मेहरोत्रा इत्यादि ने अपने व्याख्यान: प्रस्तुत किये। आधार व्याख्यान डॉ माधुरी पटेल (महासचिव FOGSI), डॉ भास्कर पाल, डॉ रोहाना हथ्योटूवा द्वारा दिया गया। मुख्य भाषण में डॉ हृषिकेश डी. पाई, अध्यक्ष, FOGSI, डॉ जयदीप टैंक, डॉ पी. सी. महापात्रा, डॉ रोहाना हथ्येवा, डॉ यू.डी.पी. रत्नागीरी, डॉ तुषार कार, डॉ सुनिता तंदुलवाडकर इत्यादि राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय फैकल्टी द्वारा दिए गए व्याख्यान शामिल थे। इसके अतिरिक्त पी.ओ.जी.एस. के वरिष्ठ चिकित्सक जैसे पद्मश्री डॉ शांति रॉय, डॉ. मंजू गीता मिश्रा, डॉ प्रमिला मोदी, डॉ के. जी. कपूर, डॉ बरुण कला सिन्हा, डॉ सुषमा पाण्डेय, डॉ अनीता सिंह, डॉ अलका पांडये इत्यादि ने भी अपने व्याख्यान से सबों का दिल जिता एवं ज्ञान वर्द्धक बातें लोगों तक पहुँचाने का कार्य किया।
इस कार्यशाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें बिहार एवं भारत के अन्य भागों के सोसाईटी के सदस्यों ने पूर्वी भारत के लोकनृत्य प्रस्तुत किये। FOGSI ने पहली बार इस सम्मेलन के दौरान अपने सदस्यों के लिए पेर्जेन्ट शो का आयोजन किया जिसमें कई प्रतिभागियों ने भाग लिया एवं मौजूद सदस्यों ने आनंद उठाया।