जिंदगी की दास्तान को बयां करती है मुरली मनोहर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘जज्बात’

 जिंदगी की दास्तान को बयां करती है मुरली मनोहर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘जज्बात’

जिंदगी की दास्तान को बयां करती है मुरली मनोहर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘जज्बात’

पटना : मुरली मनोहर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘जज्बात’ जिंदगी की दास्तान बयां करती है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव की इस गजल संग्रह में कुल 62 गजलें हैं जिसको नोशन पब्लिशिंग मुबई ने प्रकाशित किया है। भाषा बहुत ही सरल और सहज है, जो किसी भी अच्छे पत्रकार का स्वाभाविक गुण है। जज्बात का लोकापर्ण पूर्व राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, विधान पार्षद प्रो नवल किशोर यादव, वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश, विधान पार्षद गुलाम गौस, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अफजल अब्बास और प्रो सुहेली मेहता ने किया।

मुरली मनोहर श्रीवास्तव की गजलें जीवन के हर पहलू पर केंद्रित हैं। जज्बात जैसे शीर्षक से ही पता चलता है कि उनकी गजलों में भाव, भावना की अभिव्यक्ति को करीने से प्रस्तुत किया गया है। इनकी इस गजल की पुस्तक में घरेलू रिश्तों से लेकर, मोहब्बत की दास्तान, दूरी, अफसोस, धोखा जैसी बातों पर फोकस है। इंसान की पूरी जिंदगी संघर्ष में गुजर जाती है। उसे वक्त मिलता है तो वो वर्तमान में अतीत की गहराईयों में गोते लगाने लगता है।

पेशे से पत्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव संवेदनशील हैं। हर किसी के मर्म को गरहाई से महसूस करते हैं। इनकी गजल संग्रह ‘जज्बात’ को पहली नजर में देखने से उनके अंदर के भाव का एहसास हो जाएगा। इस पूरी पुस्तक में कुल 62 गजले हैं। सभी गजल अपने आप में उम्दा है। कोई भी लेखक अपनी लेखनी में अपने पूरे भाव को लिखने की कोशिश करता है। ठीक उसी प्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने भी अपने गजल की पुस्तक ‘ज़ज्बात’ में भाव को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

इस पुस्तक में श्री मुरली ने गजल क्या होता है तथा गजल के मायने क्या होते हैं, इसको लिखकर अपने पाठकों को गजल की बारिकी से परिचय कराया है। इस गजल की पुस्तक में अपने माता-पिता से जुड़े होने के एहसास से लेकर एक प्रियतमा के प्रति लगाव, विरह जैसे पहलुओं को गजल में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। एक बात और है गजल चाहे कितनी भी बेहतर क्यों न लिखी जाए। जब तक उस गजल को आवाज न दी जाए वह अधूरी होती है और उसके भाव को सभी को समझ पाना आसान नहीं होता है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव की गजलें जीवन चरित्र पर पूरी तरह केंद्रित है। शीर्षक से लगता है कि इनकी गजलों में जीवन की उदासी, बेचैनी, क्रोध, दूरियां, धोखा सब कुछ है। कहा जाता है कि समाजिक जीवन का लंबा अनुभव रखने वाला व्यक्ति ही ऐसी गजलों को लिख सकता है।

Kundan Kumar

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