दिल्ली के छठ घाट स्थित जयप्रभा उद्यान में देश के अमर सपूतों की स्मृति में हुआ वृक्षारोपण
पेडो़ं के बिना शुद्ध पर्यावरण की कल्पना बेमानी– रागिनी रंजन
नयी दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिल्ली के आईटीओ स्थित लोकनायक सेतु के समीप यमुना तट पर बने छठ घाट पर लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र, यमुना मिशन, गो ग्रीन, इनवायरमेंट सोशल डवलपमेंट ऐसोसियेशन और ग्लोबल कायस्थ कॉनफ्रेंस (जीकेसी) के संयुक्त तत्वावधान में स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानियों और बलिदानी सपूतों की याद में जयप्रभा उद्यान में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर देश के जाने-माने पर्यावरणविद, शिक्षाविद, समाजसेवी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रख्यात चिकित्सकों, गांधीवादियों, भूगर्भ विज्ञानियों, संस्कृति कर्मियों, प्रशासनिक अधिकारियों, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों व सैकडो़ं स्कूली छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र के महासचिव अभय सिन्हा ने केन्द्र के कार्यक्रमों व वृक्षारोपण कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में विस्तार से बताया और इसके पीछे श्री अशोक उपाध्याय जी व यमुना मिशन के संस्थापक श्री प्रदीप बंसल जी की प्रेरणा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम के अमर बलिदानियों और मां भारती के भूले-बिसरे अमर सपूतों की स्मृति में हमारी संस्था, गो ग्रीन, ईएसडीए, जीकेसी व प्रयास एक आशा द्वारा वृक्षारोपण किये जाने का यह प्रथम प्रयास है जो भविष्य में भी अनवरत जारी रहेगा।
समारोह में श्री ब्रजकिशोर त्रिपाठी, डा० संजय राय, डा० विवेक दीक्षित, श्रीकांत द्विवेदी, डा०जितेन्द्र नागर, डा० जगदीश चौधरी, श्री रमेश चंद्र शर्मा आदि अतिथियों ने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बहुत हो चुका अब कुछ करना ही होगा तभी हम पर्यावरण की रक्षा करने में समर्थ हो सकेंगे अन्यथा बहुत देर हो जायेगी। अतिथि वक्ताओं ने पर्यावरण की रक्षा में हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया और कहा कि आज हम सभी संकल्प लें कि हम न केवल पेड़ लगायेंगे व इस हेतु दूसरों को प्रेरित भी करेंगे कि पेड़ रहेंगे तो हम रहेंगे और तभी जीवन बचेगा। श्री रमेश जी शर्मा ने तो मां यमुना और नदियों से संबंधित अपनी कविता से सबका मन मोह लिया।
इस अवसर पर जीकेसी गो ग्रीन अभियान की अध्यक्ष रागिणी रंजन ने कहा कि पेडो़ं के बिना शुद्ध पर्यावरण की कल्पना ही बेमानी है। पेडो़ं का खात्मा कर हम मानव और पर्यावरण के पक्ष में पेडो़ं द्वारा की गयी सभी सकारात्मक गतिविधियों को अवरुद्ध कर रहे हैं जो मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण हैं। इसलिए जरूरी है कि जीवनदायी पेडो़ं रूपी संपदा को बचाया जाये अन्यथा बहुत देर हो जायेगी और तब पछताने के सिवाय हमारे हाथ में कुछ नहीं होगा। विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने स्वाधीनता संग्राम के बलिदानी सपूतों की याद में न केवल बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया है बल्कि वृक्षारोपण करने के साथ ही उसका नामकरण भी किया है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में हमें प्रख्यात पर्यावरणविद् श्री ज्ञानेंद्र रावत जी, यमुना मिशन संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री प्रदीप बंसल जी, मिशन के वृक्षारोपण अभियान और मां यमुना की सेवा के प्रमुख सूत्रधार श्री अशोक उपाध्याय जी और जीकेसी दिल्ली प्रदेश के सभी सहयोगियों की हृदय से आभारी हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी।
वहीं पर्यावरणविद श्री ज्ञानेन्द्र रावत ने अपने संबोधन में कहा कि पेडो़ं का अत्याधिक कटान अब समाज और पर्यावरण के लिए वैश्विक समस्या बन चुका है जो धरती पर जीवन के विनाश का संकेत है। सबसे बडी़ दुख की बात यह है कि जब हानिकारक गैसों और किरणों को रोकने के लिए धरती पर कोई पेड़ ही नहीं रहेगा तो धरती पर प्राणियों का अस्तित्व कैसे बचेगा। यही सवाल सबसे अहम है। उन्होंने अतिथियों व उपस्थित जनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सब आपके सहयोग और समर्थन से ही संभव हुआ है और मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी पर्यावरण रक्षा के कार्यक्रमों में आप सभी का इसी प्रकार सहयोग-समर्थन हमें मिलता रहेगा।