वर्चुअल आयोजन कर Disko King Bappi Lahiri को दी गयी श्रद्धांजलि
वर्चुअल आयोजन कर Disko King Bappi Lahiri को दी गयी श्रद्धांजलि
पटना / नयी दिल्ली : Global Kayastha Confrence (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ ने संगीतकार-गायक बप्पी लाहिड़ी Bappi Lahiri की स्मृति में संगीतमय संध्या का आयोजन किया, जिसमें कलाकारों ने बप्पी लाहिड़ी को गायन, वादन और संस्मरण के जरिये भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। GKC कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार और राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने बताया कि बप्पी लाहिड़ी की स्मृति में वर्चुअल संगीतमय संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बप्पी लाहिड़ी से जुड़े संस्मरण को सुप्रसिद्ध कवि आलोक अविरल और जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक और सुप्रसिद्ध अभिनेता-फिल्मकार दीप श्रेष्ठ ने साझा किया।
दीप श्रेष्ठ ने बताया कि उन्होंने बप्पी लाहिड़ी के संगीत से सजी फिल्म कह दो प्यार है में अभिनय किया था लेकिन दुर्भाग्य से फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें उनसे काफी कुछ सीखने को मिला था। कार्यक्रम की परिकल्पना और संचालन जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती सोनिका श्रीवास्तव और जीकेसी बिहार शिक्षा प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मि सिन्हा ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम की शुरुआत कत्थक नृत्यांगना श्रुति सिन्हा के भाव नृत्य से हुई।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष श्री राजीव रंजन प्रसाद ने बप्पी लाहिड़ी को श्रद्धांजली अर्पित करते हुये कहा, बप्पी लाहिड़ी के रूप में हमनें एक ऐसे विभूति को खोया जिसकी भरपाई आने वाले वर्षो में कतई संभव नहीं है। उन्होंने संगीत में कई प्रयोग किये। परंपरागत संगीत को लेकर जो मान्यतायें थी, उन्होंने उसे वैश्विक परिक्षेक्ष्य के रूप में हिंदुस्तान के संगीत को जोड़कर जादू पैदा किया, इसलिये शायद वह अमर हैं। जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा, बप्पी लाहिड़ी अपने आप में एक संस्थान थे। बेशक आपको डांस आता हो या न आता है लेकिन बप्पी लाहिड़ी के संगीतबद्ध और गाये गीतों के जरिये लोग थिरकने पर मजबूर हो जाते थे। वह डिस्कों के निर्माता थे। वह एक प्रणेता रहे हैं। संगीत की दुनिया में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के महासचिव पवन सक्सेना ने कहा, बप्पी लाहिड़ी भारतीय सिनेमा के संगीत जगत को नया आयाम दिया। संगीत के के क्षेत्र में उनके योगदान को कोई भूला नहीं सकता। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। संगीतमय कार्यक्रम में मुम्बई से डॉ शालिनी बैरागी, गज़ल गायिका मृणालिनी अखौरी, कुमार संभव, गिटारिस्ट सुबोध नंदन सिन्हा, दिवाकर कुमार वर्मा, गिटारिस्ट प्रवीण बादल, हैप्पी श्रीवास्तव, जुबिन सिन्हा ने शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में प्रेम कुमार ‘चलते चलते मेरे ये गीत ‘ गाकर सबका दिल जीत लिया। ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने
जीकेसी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन किया।