देश की स्वतंत्रता और विकास में हिंदी भाषा का अहम योगदान : Rajiv Ranjan Prasad
देश की स्वतंत्रता और विकास में हिंदी भाषा का अहम योगदान : राजीव रंजन प्रसाद
हिंदी दिवस के अवसर पर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस की प्रस्तुति हिंदी अपनी..कितनी अपनी ??
हिंदी हमारी शान और पहचान : श्रुति सिन्हा
हिंदी भाषा के उत्थान के लिए सभी लोगों को सतत प्रयास करना चाहिए : पवन सक्सेना
हिंदी के संरक्षण एवं संवर्धन पर ध्यान देने की जरूरत : शिवानी गौड़
हिंदी दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का तरीका : डा. नम्रता आनंद
नयी दिल्ली, 16 सितंबर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से हिंदी दिवस के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम हिंदी अपनी..कितनी अपनी ?? आयोजन किया गया। जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वर्चुअल कार्यक्रम हिंदी अपनी. कितनी अपनी ??के संयोजक प्रेम कुमार ने बताया हिंदी दिवस 14 सितंबर के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शिवानी गौड़ ने होस्ट किया।कार्यक्रम के सफल संचालन में डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष आनंद सिन्हा, डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि हर साल 14 सितंबर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। नि:संदेह हिंदी भारत में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। हालांकि अंग्रेजी के प्रति अभी भी भारतवासियों का झुकाव है। हमें हिंदी का आदर और उसका मूल्य समझना चाहिए।हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता और विकास में हिंदी भाषा का अहम योगदान है। हिंदी को लोगों के मन में बसाना है, तो साल में एक बार हिंदी दिवस मना कर नहीं, बल्कि साल भर इस पर काम करना होगा।
पवन सक्सेना ने कहा, वर्ष 2001 की जनगणना में 422 लाख से अधिक लोगों ने अपनी मातृभाषा के रूप में हिंदी का उल्लेख किया। देश में किसी भी अन्य भाषा का कुल आबादी का 10% से अधिक उपयोग नहीं किया जाता है। फिर भी इस देश में हिंदी की दुर्दशा है। हिंदी हमारे देश की मातृभाषा है, इसलिए अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी भाषा के उत्थान के लिए हम सभी लोगों को सतत प्रयास करना चाहिए। विश्व के समस्त कायस्थ परिवार को जोड़ने को संकल्पित जीकेसी परिकल्पना को साकार करने के कला संस्कृति प्रकोष्ठ अपना सर्वश्रेष्ठ देगा।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने कहा, हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा पर आधारित प्रश्नोत्तरी,कहावत मुहावरों के साथ हिन्दी शब्दों को पिरोकर कई मनोरंजक सवाल जवाब किए गए। विभिन्न राज्यो से आए प्रतिभागियों को तीन समूह में विभक्त किया गया। निर्णायक की भूमिका में जीकेसी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सक्सेना और कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शीला गौड़ ने अहम भूमिका निभायी।इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों की तीन टीम बनायी गयी, जिसमें ए वर्ग से कस्तूरी सिन्हा और प्रभास कर्ण, बी वर्ग से श्रुति सिन्हा और गीता कुमारी तथा सी वर्ग से तन्वी माथुर और रजत नाथ ने शिरकत की। प्रथम स्थान पर बी टीम की श्रुति सिन्हा और गीता कुमारी ने बाजी मारी जबकि ए और सी वर्ग की टीम बराबर अंक लेकर संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर रही।
शिवानी गौड़ ने कहा, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, हमारी निज भाषा है ..हमें इससे प्यार होना ही चाहिए…। हमें हिंदी का सम्मान दिलाने के लिए इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने होंगे और हिंदी को उसका अधिकार उसका सम्मान फिर से वापस दिलाना होगा।हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा एवं राजभाषा है और हमें इसके संरक्षण एवं संवर्धन पर ध्यान देना चाहिये।
जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष और कार्यक्रम की संयोजक डा. नम्रता आनंद ने कहा कि एक भारतीय होने के नाते हमें हिंदी का अच्छा ज्ञान होना जरूरी है। हिंदी दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है।हिंदी दिवस लोगों को उनकी जड़ों से जोड़े रखता है और लोगों को उनकी मूल संस्कृति की याद दिलाता है।देश प्रेम की तरह हिंदी के लिए भी प्रेम हृदय से जागृत होना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ, सभी को कार्यक्रम सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।उन्होंने कहा हिंदी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है। हिंदी हमारी पहचान है हमारी शान है।