Innerwheel Club Of Patna Krishna ने Water Conservation किये प्रोजेक्ट

 Innerwheel Club Of Patna  Krishna ने Water Conservation किये प्रोजेक्ट

इनरव्हील क्लब ऑफ पटना कृष्णा ने वाटर कंजर्वेशनपर किये प्रोजेक्ट

पटना, 06 नवंबर इनर व्हील क्लब ऑफ पटना कृष्णा ने वाटर कंजर्वेशनपर अक्टूबर में कई प्रोजेक्ट किये हैं। इनर व्हील क्लब पटना कृष्णा की अध्यक्ष अलका ओझा ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन शीला दी के निर्देश पर अक्टूबर माह में पटना कृष्णा ने लगातार 12 दिन वाटर कंजर्वेशन के कई सारे प्रोजेक्ट्स किये। उन्होंने बताया कि कुछ प्रोजेक्ट्स हमने चिकसौरा के गांव में जाकर बच्चों के साथ किया, वहीं कुछ प्रोजेक्ट हमने दानापुर स्थित पास के गांव में महिलाओं के साथ किया।

इसी तरह कुछ प्रोजेक्ट्स हमने अपने अपने घरों में भी किये। इसी क्रम में इनर व्हील क्लब पटना कृष्णा ने चिकसौरा स्कूल के बच्चों को अक्वाफोनिक्स का किट दिया और उन्हें प्रोजेक्टर की मदद से एक्वापोनिक्स का महत्व समझाया। एक्वापोनिक्स इंडिया का बेस्ट प्रोजेक्ट है जो की न सिर्फ वाटर कंजर्वेशन करता है बल्कि इंवर्मेंट कंजरवेशन में भी मदद करता है।एक्वाकल्चर की एक प्रणाली जिसमें खेती की गई मछली या अन्य जलीय जीवों द्वारा प्रोडयूस्ड वेस्ट हाइड्रोपोनिक रूप से उगाए जाने वाले पौधों के लिए न्यूटीएंटस की आपूर्ति करता है, जो बदले में पानी को शुद्ध करते हैं। जल संरक्षण:पारंपरिक खेती की तुलना में 90% कम पानी का उपयोग करता है। पानी और पोषक तत्वों को एक बंद लूप फैशन में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है जो पानी का संरक्षण करता है।ये प्रोजेक्ट सिर्फ़ हमारा क्लब ही किया है।

श्रीमती ओझा ने बताया कि हमने गांव में जहाँ जहाँ बाहर नल लगे हुए थे ,वहां एरोटर फॉसेट लगाया। हमने स्कूल के नल जहाँ पर एक साथ कई सारे नल थे वहां भी एरोटर फॉसेट लगाया जो बहुत ही आसानी से मिल जाता और ये काफी किफायती भी है। इसी तरह हमनें दानापुर के गावों में जाकर वहां के खेतों में लॉन स्प्रिनकलर लगाया। वहां के महिलाओं को इसका मतलब भी समझाया। अधिकतम पानी के एक्सपोजर के लिए 4 अलग-अलग एंगल आउटलेट्स के साथ प्रत्येक अलग एंगल का चयन करने के लिए यह स्प्रिंकलर बना हुआ है।इससे अनावश्यक पानी के खफत को कम किया जा सकता है ।

श्रीमती सिंह और सेक्रेटरी मंजू जी ने बताया कि पटना कृष्णा ने अपने घरों में ड्रिप इरीगेशन किट लगाय। ऑटोमैटिक ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पौधों में अपने आप बूँद बूँद पानी जाता है और पौधों के जड़ों में सीधा जाता है जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और साथ ही साथ पौधों के जड़ों में पानी पहुँचता है और यदि हम नार्मल तरीके से पानी डालते हैं तो पौधों में काफी पानी की बर्बादी हो जाती है। यह नार्मल ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से हम न सिर्फ घर के पौधों में बल्कि खेतों में भी इसके मदद से पानी की बर्बादी कम कर सकते हैं। ड्रिप इरीगेशन सिस्टम एक समय में एक बूंद पौधे की जड़ तक सीधे पानी पहुंचाकर पानी की बचत करता हैं।

श्रीमती ओझा ने बताया कि पटना कृष्णा कि सारी मेंबर्स ने अपने अपने घरों के वाटर टैंक पर वाटर ओवरफ्लो अलार्म लगाया। इससे जब भी पानी का स्तर टंकी भरने पर एक सीमा से ऊपर पहुँचने लगता है तो ये अपने पास साईरऩजैसे आवाज़ करने लगता है और पानी के वेसटेज को कम करता है। हमने कुआं की सफाई का कार्य शुरू किया। गावों के लिए कुआँ सबसे अच्छा पानी का श्रोत है। इसके सफाई करने से हम न सिर्फ पानी के सोर्सेज सही इस्तेमाल करेंगे बल्कि इससे वाटर कनरवेशन भी होगा।हमने गांव के मदिर के छत पर ऐसी दिशा में पाइप लगवाया जिससे की उसकी छत का सारा पानी निचे उसके पास के स्थित पौधों में सीधा गिरे। इससे उन पौधों के लिए अलग से पानी की ज़रूरत नहीं होगी और छत का पानी जो की बर्बाद हो जाता उसका सही इस्तेमाल हुआ। क्लब की ट्रेजरर रिचा ने खराबपानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक बहुत ही सुन्दर प्रोजेक्ट किया जिसमे की पूजा रूम के पानी को सीधे ज़मीन में डाला।

चुकी पूजा रूम का पानी बहुत साफ़ ही होता है उसको बर्बाद न करके सीधे धरती में डाल देने से , हमारे धरती की जल स्तर में सुधार होगा और पानी की बचत भी होगी। पटना कृष्णा ने चिकसौरा गांव के स्कूल में जाकर बच्चों के साथ जल संरक्षण का क्विज कराया और उन्हें प्राइज के रूप में चॉक्लेट्स और बिस्कुट दिए। पटना कृष्णा के मेंबर्स ने वाशिंग मशीन से निकल रहे पानी को बर्बादी से बचने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। इसमें जो मशीन से निकला पानी है उसमे पहले से ही सर्फ होता है। उसको बाल्टी में इकठ्ठा करके , उसी पानी से गाडी की सफाई की। इससे न सिर्फ मशीन के पानी की बचत हुई बल्कि गाड़ी धोने का काम आसान हुई। हमनें एक्वागार्ड से निकल रहे वेस्ट पानी की बर्बादी का बचाओ करने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया। इसमें जो पानी एक्वागार्ड से निकल कर बर्बाद हो जाता है उसको हमने बाल्टी में इकठ्ठा किया और उसी पानी से पोंछा लगाया ,जिससे पानी की बचत हुई ।

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